फैटी लिवर क्या है,कैसे होता है,कैसे सही होगा। देखें

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फैटी लिवर रोग क्या है?



लिवर में अतिरिक्त चिकनाई का बनना फैटी लिवर की बीमारी है।

फैटी लिवर की बीमारी शराब के अत्यधिक सेवन से हो सकती है और यदि व्यक्ति अतिरिक्त शराब पीना जारी रखे तो उससे लिवर को गंभीर क्षति हो सकती है। पिछले 30 वर्षों में, डॉक्टरों को यह लगने लगा है (अहसास हुआ है) कि बड़ी संख्या में ऐसे रोगी हैं जो बहुत कम शराब पीते हैं या शराब नहीं पीते हैं, लेकिन फिर भी उनके लिवर में अतिरिक्त चर्बी है। इस विकार को नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के फैटी लिवर से लिवर में सूजन (सूजन), लिवर स्कारिंग (सिरोसिस), लिवर कैंसर, लिवर की विफलता और मृत्यु भी हो सकती है। फैटी लिवर एक बेहद सामान्य लिवर की बीमारी है और इससे 5-20 प्रतिशत तक भारतीयों के प्रभावित होने का अनुमान है।

कौन Non Alcoholic Fatty Liver Disease (NAFLD) से ग्रसित हो सकते है ?

NAFLD पुरुषों, महिलाओं और सभी उम्र के बच्चों को प्रभावित कर सकता है, मगर अधिक वजन वाले लोगों का इससे ग्रसित होना आम है। चिकनाई से भरपूर आहार, कैलोरी और फ्रुक्टोज भी फैटी लिवर रोग का कारण हो सकते हैं। भारत के शहरों में मोटापा एक खतरनाक दर से बढ़ रहा है। वर्तमान में अधिक से अधिक लोगों में मधुमेह का निदान किया जा रहा है। चूंकि मोटापा और मधुमेह फैटी लिवर के लिए प्रमुख खतरा हैं, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 10-20 वर्षों में इन रोगियों के मौत का एक प्रमुख कारण भीषण प्रकार का फैटी लिवर रोग बनने वाला है।

फैटी लिवर रोग के कितने चरण हैं?

फैटी लिवर आमतौर पर निम्नलिखित चरणों के माध्यम से आगे बढ़ता है:


साधारण फैटी लिवर

सूजन के साथ फैटी लिवर (NASH या नॉन-अल्कोहिलक स्टेटोहेपेटाइटिस के रूप में जाना जाता है)

फैटी लिवर जिसमे लिवर की स्कार्रिंग हो या लिवर सख्त हो जाये (जिसे लिवर सिरोसिस भी कहा जाता है)

यह अनुमान है कि साधारण फैटी लिवर 5-20 प्रतिशत भारतीयों को प्रभावित कर सकता है। अच्छी खबर यह है कि अधिकांश साधारण फैटी लिवर से ग्रसित लोगों को गंभीर लिवर क्षति नहीं होती । फिर भी, कुछ व्यक्तियों, विशेष रूप से कई खतरों वाले कारकों, लिवर सिरोसिस की ओर अग्रसर होंगे। एक बार जब लिवर सिरोसिस विकसित हो जाता है, तो लिवर की विफलता, लिवर कैंसर और मृत्यु का प्रमुख खतरा होता है।

फैटी लिवर के क्या लक्षण हैं ?

फैटी लिवर वाले अधिकांश व्यक्तियों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, हालांकि कुछ को लिवर के बढ़ने के कारण पेट के दाहिनी ओर दर्द का अनुभव हो सकता है। अन्य लक्षण सामान्य थकान, मतली और भूख न लगना है। एक बार सिरोसिस विकसित हो जाता है, और लिवर की विफलता की शुरुआत हो जाए, तब आँखों का पीलापन (पीलिया), पेट में पानी भरना (एडिमा), खून की उल्टी, मानसिक भ्रम और पीलिया हो सकता है।


फैटी लिवर रोग का निदान कैसे किया जाता है?

फैटी लिवर आमतौर पर रुटीन चेकअप के दौरान पाया जाता है, जब डॉक्टर को बढ़े हुए लिवर का पता चलता है। अल्ट्रासाउंड स्कैन लिवर में फैट दिखा सकती है , जब लिवर का रक्त परीक्षण सामान्य नहीं हो। कुछ नए परीक्षण “फाइब्रोस्कैन” और “फाइब्रोटेस्ट” के रूप में जाने जाते हैं जो अधिक विश्वसनीय हैं। फैटी लिवर के लिए खतरे के कारकों को पहचानना और अपने चिकित्सक के साथ वार्षिक जांच करना महत्वपूर्ण है ताकि रोग का जल्द पता चल सके।


फैटी लिवर रोग खतरनाक क्यों है?

फैटी लिवर एक मूक रोग है। हो सकता है की यह तब तक कोई लक्षण न दिखाए जब तक कि स्थिति लिवर सिरोसिस और लिवर की विफलता की ओर नहीं बढ़ जाती है। प्रारंभिक चरण में इस बीमारी का पता लगाना महत्वपूर्ण है जब इसकी प्रगति को रोका जा सकता है या धीमा किया जा सकता है।

फैटी लिवर का इलाज कैसे किया जाता है?

वर्तमान में, फैटी लिवर के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। प्रारंभिक फैटी लिवर आमतौर पर आहार परिवर्तन, वजन घटाने, व्यायाम और मधुमेह जैसे खतरे के कारकों के नियंत्रण से आसानी से उलट जाता है। जैसे-जैसे लिवर की क्षति अधिक गंभीर होती जाती है, सिरोसिस और लिवर की विफलता विकसित हो सकती है और इस स्तर पर केवल लिवर प्रत्यारोपण से रोगी के जीवन को बचाया जा सकता है। कुछ रोगी जो मोटे हैं और जिन्हे फैटी लिवर भी है, वे वजन घटाने की (बेरिएट्रिक) सर्जरी से लाभान्वित हो सकते हैं।


फैटी लिवर के रोग को कैसे पलटें और रोकें?

अपना वजन मैनेज करें। वजन कम करें, यदि आप अधिक वजन वाले हैं (तेजी से वजन कम करने से बचें)। डाइट कार्यक्रमों से दूर रहें जो भूखे रहने की सलाह देते हैं।

प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।आहार में चिकनाई की मात्रा कम करें।कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार (सफेद चावल, आलू, सफेद ब्रेड) को ना कहें। ये हमारी आंतों से जल्दी से अवशोषित हो जाते हैं/सोख लिए जाते हैं और लिवर फैट में परिवर्तित हो जाते हैं। खाद्य पदार्थ जो धीरे-धीरे अवशोषित हो जाते हैं, जैसे कि अनाज, दालें, नट्स, सेब और संतरे सहित असंसाधित फल फायदेमंद होते हैं।

फ्रुक्टोज से भरपूर कई जूस और कार्बोनेटेड पेय पीने से बचें। इसके अलावा, बहुत ज़्यादा फल खाने से सावधान रहें।एंटीऑक्सिडेंट जैसे सिलीमारिन, विटामिन सी और ई के कुछ लाभ हो सकते हैं। इनका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।वार्षिक स्वास्थ्य जांच करें। हर साल अपने लिवर एंजाइम, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जाँच करें।अगर आपको उच्च रक्तचाप और मधुमेह है, तो इसका प्रभावी उपचार करें।अगरआप मध्यम या काम मात्रा में शराब पीने वाले हैं, तब भी शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करने की सलाह दी जाती है

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