नदी के बजाय गड्ढों में विसर्जित की जाएंगी प्रतिमाएं

Jeet
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 प्रशासन करेगा प्रबंध, नदी के बजाय गड्ढों में विसर्जित की जाएंगी प्रतिमाएं



 दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए इस बार होगी नई पहल

- अमहट घाट के निकट कुआनो नदी के किनारे खोदे जाएंगे गड्ढे

बस्ती। दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर इस बार अच्छी पहल होने जा रही है। अब न नदी प्रदूषित होगी और न ही विसर्जन के बाद देवी- देवताओं की मूर्तियों में लगे साज- सज्जा के सामानों पर लूट मचेगी। इसके समुचित प्रबंध में प्रशासन अभी से जुट गया है। अब मूर्तियों का विसर्जन नदी के बजाय तटीय क्षेत्र में बड़े आकार के खोदे गए गड्ढों में होगा। बाद में उसे ढक दिया जाएगा।

शहर एवं आसपास के क्षेत्र में 300 से अधिक दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित होती है। यहां नवरात्रि सप्तमी के दिन से दुर्गा पूजा उत्सव शुरू होता है। पूर्णिमा के दिन सभी प्रतिमाओं का विसर्जन अमहट घाट पर कुआनो नदी में कर दिया जाता है। इधर एक दशक में आयोजन का चलन बढ़ जाने से बड़ी तादाद देवी- देवताओं की मूर्तियां एक साथ नदी में डाली जाती है। अनुमान के मुताबिक प्रत्येक साल दुर्गा पूजा समाप्त होने के बाद अमहट घाट पर कुआनो नदी में विभिन्न देवी- देवताओं की 1500 मूर्तियां विसर्जित होती है। जिससे काफी हिस्से में नदी प्रदूषित हो जाती है। प्रतिमाओं के निर्माण उपयुक्त होने वाले विभिन्न तरह के रंग, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, काॅस्मेटिक सामान, बांस की फट्टियां, कांच की चूड़िया आदि जलीय जंतुओं के लिए नुकसानदेह होते हैं। इसके अलावा पानी का रंग भी कुछ दिनों तक बदला रहता है। बारिश के दौरान जब नदी का बहाव तेज होता है तभी स्थिति कुछ सुधर पाती है। इस बार नदी को इन दुश्वारियों से मुक्त कराने के लिए महानगरों की भांति यहां भी मूर्ति विसर्जन का अलग से प्रबंध किया जा रहा है। अमहट घाट पर कुआनो नदी के आसपास बड़े आकार के कई गड्ढे तैयार किए जाएंगे। यहां तक मूूर्तियों को ले जाने के लिए राह भी तैयार किया जाएगा। ताकि आयोजन समितियां वाहनों से मूर्तियों को इन गड्ढों तक पहुंचा सकें। सभी छोटी- बड़ी मूर्तियां इन्हीं गड्ढों में विसर्जित की जाएंगी। बाद में इन्हें ढक दिया जाएगा। इससे नदी भी सुरक्षित रहेगी और मूर्तियां भी सुरक्षित ढंग से विसर्जित कर दी जाएंगी।

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गड्ढों को तैयार कराएगी नगर पालिका जिला प्रशासन की तरफ से कुआनो के अमहट तट पर गड्ढों को तैयार कराने की जिम्मेदारी नगर पालिका को सौंपी गई है। नगर पालिका की टीम अमहट के आसपास सुगम जगहों पर जेसीबी से बड़े- बड़े गड्ढे तैयार करेगी। ताकि मूर्तियों को वहां तक आसानी से पहुंचाया जा सकें। प्रभारी ईओ/ एसडीएम सुनिष्ठा सिंह ने बताया कि विर्सजन से ठीक पहले गड्ढे तैयार कर लिए जाएंगे। इसकी रूपरेखा बन चुकी है। विसर्जन स्थल पर प्रकाश की व्यवस्था भी बनाई जाएगी। इसके अलावा मूर्तियों को विसर्जित करने के लिए क्रेन आदि की व्यवस्था भी रहेगी।

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महानगरों में पहले से हैं यह व्यवस्था

नदियों को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए गोरखपुर, कानपुर, प्रयागराज जैसे महानगरों में पहले से ही गड्ढों कोे खोदकर मूर्तियों के विसर्जन की व्यवस्था चलन में है। पहली बार जिला मुख्यालय पर यह प्रबंध होने जा रहा है। हालांकि इस तरह की उपाय किए जाने की मांग बहुत पहले से हो रही है।

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शहर एवं आसपास के क्षेत्र के सभी प्रतिमाओं का विसर्जन इस बार नदी के बजाय खोदे गए गड्ढों में कराया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। अमहट घाट के पास सुगम जगहों पर विसर्जन से ठीक एक दिन पहले गड्ढे खोदकर तैयार रखने के निर्देश नगर पालिका को दिए जा चुके हैं।

प्रतिपाल सिंह चौहान, एडीएम।

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